अकबर और राजपूतों के बीच संबंध मुग़ल काल के दौर में

IMAGE SOURCE|- Commons.wikimedia.org

मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर और राजपूतों के बीच संबंध।

मुगल काल के दौरान जलालुद्दीन अकबर और राजपूतों के बीच संबंध कुछ अच्छे नहीं थेजिनके पीछे अनेक कारण माने जाते हैं । अकबर ने सदैव ही राजपूतों का वर्चस्व  घटाने की सोची , जिसके चलते राजपूतों और अकबर के बीच इतिहास में अनेकों बार युद्ध देखने को मिले थे ।

1560 ईस्वी में जब मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर अपने सिंहासन पर बैठे उस समय राजपूतों वर्चस्व कुछ कम नहीं था । राजपूतों के साथ अकबर के संबंधों को देश के शक्तिशाली राजाओं और जागीरदारों के प्रति मुगल नीति की पृष्ठभूमि में देखा जा सकता था।

अकबर के राज गद्दी संभालने के दौरान मुगल काल में राजपूतों के अधीन आने वाली बहुत सी रियासतें थी जिनको अकबर हासिल करना चाहता था राजपूतों से अपने संबंध बनाकर। आमेर, मेवाड़, बीकानेर, जैसलमेर रणथंबोर ऐसी बहुत सी रियासतें थी जिन्हें अकबर हासिल करना चाहता था।

मोहम्मद अकबर का स्वभाव मुगल काल के दौरान।

हल्दीघाटी युद्ध के दौरान भी महाराणा प्रताप और मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर के बीच जो युद्ध इतिहास में दर्ज किया गया है उसमें भी बताया जाता है कि अकबर बेशक महाराणा प्रताप को परास्त करना चाहता था, जो अकबर कर नहीं पाया इतिहास में कभी भी, लेकिन इसके साथ साथ यह भी बताया जाता है कि मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर का स्वभाव राजपूतों के प्रति बहुत ही सद्भावना मित्रता की और था। 

अकबर एक महान कूटनीतिज्ञ दूरदर्शी तथा महत्वकांक्षी सम्राट मुगल काल में माना जाता है। अकबर एक महान सम्राट होने के साथ-साथ चतुर व्यक्ति भी था। अकबर भली-भांति जानता था कि अगर वह राजपूतों से दुश्मनी मोल लेगा तो उसे हार का सामना भी करना पड़ सकता था ।

अकबर जीवन में राजपूतों के ऊपर अपना वर्चस्व कायम नहीं कर पाया । मुगल काल के दौरान हिंदू रियासतों में राजपूत प्रमुख थे, तथा अकबर को यह ज्ञात था कि राजपूतों को शत्रु बनाकर स्थाई और शांतिपूर्ण शासन में कभी भी कायम नहीं कर सकता। 

राजपूत एक बहुत ही शक्तिशाली वीर असाधारण योद्धा तथा बहुत ही विकट सेनानी थे उनके भीतर बलिदान, स्वामी भक्ति, सच्चाई जैसे गुण कूट-कूट भरे हुए थे। राजपूतों का इतिहास भी भारत के इतिहास में एक अलग ही भूमिका निभाता है जिसमें हमें यह देखने को मिलता था कि राजपूत एक बहुत ही शक्तिशाली समुदाय था और अपनी जान को जोखिम में डालकर अपने साम्राज्य की सुरक्षा करना ही उनके लिए पहला मूल कर्तव्य था।

अन्य धर्मों के साथ इस्लाम धर्म में संबंध गहरे करना।

राजपूतों के साथ मुगल काल में जब अकबर ने अपने संबंध गहरे और शक्तिशाली कर लिए उसी दौरान अकबर ने राजपूतों की राजकुमारियों के साथ विवाह किए थे। अपनी हिंदू पत्नियों को जलालुद्दीन अकबर ने पूरी तरह से स्वतंत्रता प्रदान की थी। अकबर अपने हिंदू पत्नियों का सम्मान करना आरंभ कर दिया था और उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता से जीने का अधिकार भी प्रदान कर दिया था।

वैवाहिक संबंध स्थापित करने के साथ-साथ अकबर ने राजपूतों के साथ और भी संबंध अपने घनिष्ट बनाया जिसके भीतर अकबर ने राजपूतों को दरबार में सम्मानजनक तथा उच्च स्तर के पद दिए। अपने दरबार में राजपूतों को सम्मानजनक पद देने के पश्चात अकबर ने इस्लाम धर्म अपनाने पर मजबूर किए जाने वाली प्रतिक्रियाओं से भी नाता तोड़ दिया तथा आदेश जारी करवाया कि जो अपने धर्म में स्वतंत्र रूप से रहना चाहता है वह रह सकता है। 

राजपूतों को एक सम्मानजनक पद प्रदान करना।

पढ़ने राजपूतों को मनसब और उच्च पद प्रदान की मुगल काल के दौरान तथा आमेर के राजा भारमल को काफी ही ऊंचे स्तर का पद प्राप्त हुआ। भगवान दास जोकि राजा भारमल का पुत्र था उन्हें पांच हजारी मनसब तक पहुंचा तथा पुत्र मानसिंह सात हजारी तक।

राजा मानसिंह को बिहार और बंगाल का गवर्नर नियुक्त कर दिया गया था। राजा टोडरमल और बिहारीमल को भी गैर सैनिक तथा सैनिक पदों पर नियुक्त किया। मानसिंह और बिहारीमल को ऊंचे पद देने के बाद मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर ने बचे हुए राजपूतों को भी सर्वोच्च अधिकारी नियुक्त किया था।

समाज में फैली त्रुटियों को नष्ट करना। 

अकबर को बहुत ही आधुनिक सम्राट माना जाता है। अकबर ने अपने मुगल काल के दौरान अपने समाज के भीतर से बहुत सी पुरानी प्रथाओं का भी प्रचलन पूरी तरह बंद कर दिया था। जिसके भीतर सामाजिक बुराइयां कूट-कूट के भरी हुई थी। सती प्रथा और बाल विवाह जैसी क्रूर प्रथा का भी अकबर ने सर्वनाश कर दिया, और आदेश जारी किया कि अगर इन प्रथाओं पर कोई अमल करता पाया गया तो वह कानूनी रूप से दोषी माना जाएगा। 

धार्मिक स्वतंत्रता भी अकबर ने अपने साम्राज्य के लोगों को प्रदान की सभी सैनिक राजपूत अधिकारियों और राजनैतिक अधिकारियों को पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता अकबर के द्वारा प्रदान की गई साथ ही साथ सभी रीति-रिवाजों को अपनी परंपरा के अनुसार ही मानने का आदेश दिया।

अकबर ने अन्य धर्मों के लोगों के लिए मंदिर का निर्माण किया और उनमें हिंदू पुजारियों को नियुक्त किया। मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर अपनी महानता के लिए इसलिए भी जाने जाते थे कि जब उन्होंने राजपूतों से संबंध गहरे करने का विचार बनाया उसी समय अकबर ने जजिया कर को समाप्त कर दिया और गाय का मांस खाने पर पूरी तरह रोक लगा दी।

अकबर का युद्ध राजपूतों से।

मुगल काल में अकबर ने जिन राजपूतों से संबंध विशेष बनाए थे उसी के साथ साथ बहुत से राजपूतों ने अकबर के प्रस्ताव को ठुकरा दिया , जिसके चलते अकबर और अन्य राजपूतों के साथ युद्ध का आरंभ हुआ। अकबर ने केवल उन्हीं राजपूतों से युद्ध किया जिन्होंने उसका संधि प्रस्ताव ठुकरा दिया ।

रणथंबोर, कालिंजर और मेवाड़ के शासकों के साथ ही जलालुद्दीन अकबर ने युद्ध आरंभ किया। अकबर ने वैवाहिक संबंधों को शर्त के तौर पर नहीं रखा रणथंबोर के हांडाओ के साथ अकबर के वैवाहिक संबंध कुछ अच्छे नहीं थे।