बाबर का मुग़ल शासन हिंदुस्तान में और लोदी वंश

बाबर और मुग़ल शासन हिंदुस्तान में
IMAGE SOURCE |- From a Mogul Miniature Painting, Public domain, via Wikimedia Commons

भारत में बाबर और मुग़ल शासन की स्थापना कैसे हुई ?

पानीपत की पहली लड़ाई के बाद ही मुग़ल शासन और बाबर ने अपने कदम भारत में रखे। 1526 के दौरान दिल्ली सल्तनत के लोदी( इब्राहिम लोदी) वंश के खात्मे के बाद भारत के भीतर मुग़ल शासन की नीव रखी गयी। मुग़ल वंश के संस्थापक “जहीरुदीन मोहम्मद बाबर” थे। बाबर के पिता उमर शेख मिर्ज़ा, फरगना के शासक रहे थे, जिनकी मृत्यु के बाद ही बाबर अपने राज्य का पूर्ण अधिकारी बना।

बाबर अपने पारिवारिक तंगी के चलते अपने पिता के राज्य पर पूरी तरह शासन नहीं कर सका। बाबर ने केवल 22 वर्ष की आयु में काबुल पर अधिकार जमाकर अफगानिस्तान पर अपना अधिकार कायम कर लिया। बाबर 22 वर्ष तक काबुल में रहते हुए भी अपने पेत्रक राज्य फरगना और समरकन्द को प्राप्त करने मे असफल रहा। कामयाबी ना मिलने पर बाबर ने अपने कदम भारत की और रखे, और भारत में अपना शासन बड़ाने का विचार किया।   

ऐसे कौन से कारण थे, जिसके चलते बाबर ने भारत की भूमि पर आक्रमण करने का विचार बनाया ?

भारत की उस समय की दशा कुछ सही नहीं थी , धार्मिक गतिविधियो को देखते हुए बाबर ने भारत के उपर शासन करने की सोची, क्यूकी भारत की तत्कालीन राजनीति मे एकता और मजबूती का अभाव था। हिन्दू और मुसलमान, तथा मुसलमान ही आपस में एक दूसरे के विरुद्ध हो चुके थे। अफगानी भी एक दुसरे के खिलाफ हो चुके थे। अखंडता के कारण ही बाबर ने अनुमान लगा कर भारत पर शासन करने का विचार बना लिया था। बाबर भली भाति जानता था की , भारत के भीतर अभी कुछ भी मजबूती नहीं है और सामाजिक रूप से भी लोगो के बीच दूरिया बनी हुई है।

सब घटना क्रम को देखते हुए बाबर ने अनुमान लगा लिया था की भारत ऐसी स्थिति ने नहीं है, ना ही उसके पास शक्ति है, के भारत निश्चित समय के अनुसार कूटनीति के द्वारा एक विशाल साम्राज्य की नीव रख सके। इन सब बातों को ध्यान रखते हुए बाबर ने भारत पर आक्रमण करने की सोची।  

दौलत खान और लोदी वंश

पंजाब के सूबेदार दौलत खाँ और लोदीवंश अथवा इब्राहिम लोदीके चाचा आलम खाँ ने ही बाबर को भारत पर आक्रमण करने की चुनौती दी। बाबर के पंजाब मे कदम रखने के बाद राणा संग्राम सिंह ने भी इब्राहिम लोदी के विरुद्ध, बाबर को सहायता देने का विश्वास दिलाया। सभी आक्रमण ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए उत्साहित किया।

काबुल से सही आय प्राप्त ना होना

बाबर ने किसी प्रकार काबुल पर अपना शासन कायम तो कर लिया था, बरहाल बाबर की आर्थिक स्थिति कुछ सही नहीं थी। भारत का विशाल क्षेत्र और विशाल धन दौलत को देखते हुए बाबर के मन में लालसा जागी जिसके चलते बाबर ने भारत पर आक्रमण किया। काबुल की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी की वह उसकी आय से अपनी सेना का भरण पोषण सही रूप से कर सके।  

उजबेग जाति के खात्मे से चिंतित “बाबर”

बाबर काबुल में वह शक्तिशाली मध्य एशिया की उजबेग जाति के लोगो के ऊपर मँडराता हुआ खतरा बाबर को सता रहा था। बाबर एक बहुत ही विशाल और सुरक्षित राज्य की नीव रखना चाहता था। बाबर उजबेग जाति के समुदाय की सुरक्षा को देखते हुए भारत जैसे विशाल देश पर अपना अधिकार कायम करना चाहता था।

टुकड़ो में बिखरा हुआ भारत  

भारत को टुकड़ो में बिखरा हुआ देख, बाबर ने अनुमान लगा लिया था, की जिस स्थिति में भारत तात्कालिक रूप में है ,उस स्थिति में भारत, बाबर की सेना का सामना नही कर पाएगा और बाबर आसानी से अपना अधिकार भारत के ऊपर कायम कर पाएगा।

भारत उस समय पूरी  तरह से खंडित हो चुका था, भारत के अंदर अनेक छोटे छोटे राज्य बने हुए थे। भारत के भीतर कोई भी शक्तिशाली और मजबूत राजनीति तथा कोई शासक नहीं था जो बाबर को युद्ध मे असफल कर सके।

बाबर की असफलता

बाबर की अपनी सत्ता के विस्तार के बड़े सपने देखने के बाद, भारत के ऊपर आक्रमण करने का एक और कारण था। बाबर भली भाति इस बात से अवगत था की , जिस प्रकार बाबर ने अपनी सेना का विस्तार किया हुआ था, उसकी सेना उसको भारत के उपर उसका अधिकार कायम करने में जरूर सफलता दिलाएगी। बाबर फरगना का शासक होते हुए समरकन्द को हासिल करना चाहता था। बाबर को समरकन्द हासिल करते समय असफलता का सामना करना था, जिसके चलते उसने फरगना का भी अधिकार खो दिया था। फरगना का अधिकार खोने के पश्चात बाबर ने काबुल पर विजय हासिल कर अपना शासन कायम रखा।

14 वर्षो की कड़ी मेहनत करने के बाद भी बाबर फरगना और समरकन्द को हासिल ना कर सका। असफलता को झेलते हुए बाबर की नजर भारत की ओर पड़ी, उसने भारत पर अपना अधिकार कायम करने का रुख बनाया।