मोहम्मद अली जिन्ना और द्विराष्ट्र सिद्धांत

मोहम्मद अली जिन्ना और द्विराष्ट्र सिद्धांत

द्विराष्ट्र सिद्धांत सिधान्त कहा से उजागर हुआ , और इसकी मांग किसने की?

समय था 20 मार्च 1940 मोहम्मद अली जिन्ना अपने कड़े रुख पर अटके हुए थे उनका मानना था कि द्विराष्ट्र सिद्धांत ही मुसलमानों की रक्षा कर सकता है अगर उनको भी राष्ट्रीय सिद्धांत में पाकिस्तान नहीं मिलता तो वह मुसलमानों का अंत माना जाएगा।

साइमन कमीशन की रिपोर्ट तथा जवाहरलाल नेहरू की रिपोर्ट को मोहम्मद अली जिन्ना ने अस्वीकार करने के बाद जिन्ना के मन में निरंतर हिंदू मुस्लिम एकता के स्थान पर  दो राष्ट्रीय सिद्धांत की बात अपने मन में बैठा चुके थे, वह अपनी बात पर टस से मस होते नहीं दिख रहे थे, उन्हें एक अलग मुस्लिम राष्ट्र चाहिए ही चाहिए था।

मोहम्मद अली जिन्ना के अनुसार हिंदू और मुसलमान एकता का निर्माण कभी नहीं कर सकते क्यूकी वह अलग अलग राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व करते करने लगे संघीय उपसमिति के अध्यक्ष के रूप में उनका कथन था, कि आप कोई भी संविधान बना लीजिए लेकिन केवल एक मात्र ही उपाय हम मुसलमानों के अधिकारो  को बचा सकता है वह केवल  दो राष्ट्रीय सिद्धांत ही है।

मुसलमानो की संस्कृति को लेकर जिन्ना का विषय चिंताजनक क्यो था ?

मोहम्मद अली जिन्ना के अनुसार जब तक वह मुसलमानों और दूसरों अल्पमत वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान नहीं कर देते वह इस बात पर बल देने लगे थे क्योंकि मुसलमान अलग राष्ट्रीय है और उन्हें अपनी संस्कृति तथा अलग व्यक्तित्व की रक्षा करनी ही पड़ेगी तथा उनका यह भी मत था कि हिंदू अतिवादी मुसलमानों के अस्तित्व के लिए खतरा है उन्होंने कांग्रेस को एक हिंदू दल बताया जो हिंदू राज स्थापित करना चाहती थी उनका मत था कि प्रजातंत्र की स्थापना का अर्थ मुसलमानों का सर्वनाश होगा।

जिन्ना के द्वारा पाकिस्तान की मांग

मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान की मांग का समर्थन करते हुए या मत दिया कि हिंदू तथा मुसलमान दो अलग-अलग सभ्यताएं तथा अलग-अलग विचार धाराएं हैं वह अलग-अलग धर्मों से संबंधित हैं और उनका दर्शन रीति रिवाज संस्कृति इत्यादि सभी भिन्न है उन्होंने कांग्रेस को मुसलमानों को अलग छोड़ने की बात कही उन्होंने मुसलमानों की तुलना अफ्रीका के नीग्रो तथा दासों से की 20 मार्च 1940 को जिन्ना ने भारत का विभाजन स्वतंत्र स्वशासी राष्ट्रीय राज्यों में करने की मांग की जिन्ना का मानना था कि मुस्लिम राजनीति से धर्म को अलग नहीं किया जा सकता इसलिए हिंदू मुस्लिम एकता या राष्ट्रवाद को हिंदू मुसलमानों की गैर धार्मिक मामलों में एकरूपता पर आधारित हूं कल्पना से बाहर की बात है मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र की बात की गई।

जिन्ना द्वारा राजनीतिक हथियार

साल 1945 के चुनाव अभियान के दौरान मोहम्मद अली जिन्ना ने यह नारा दिया कि ‘पाकिस्तान हमारे लिए जीवन मरण का प्रश्न है’  तथा पाकिस्तान की मांग जून 20, 1947 में बंगाल विधानसभा के सदस्यों ने बहुमत से बंगाल के विभाजन के लिए मतदान किया था तथा बाद में यही कार्यवाही सिंध में हुई, विभाजन समिति का निर्माण किया गया अलग मुस्लिम राष्ट्र वाद का जन्म तो पहले ही हो चुका था जिन्ना ने इसे राजनीतिक हथियार के रूप में बदल दिया था तथा पाकिस्तान रूपी नए राज्य का निर्माण किया जा सके तथा उन्हें दो राष्ट्रीयसिद्धांत को, सैद्धांतिक तथा धार्मिक दूरियो का रंग दे दिया।