उमा भारती का जीवन परिचय

उमा भारती का जीवन परिचय

उमा भारती कौन है?

उमा भारती भारतीय जनता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष तथा लोकसभा अध्यक्ष रेह चुकी है, साथ ही उमा ने अपनी जगह भारतीय जनता पार्टी मैं अलग ही अंदाज़ मैं बनाई थी, उमा भारती का जन्म 3 मई 1959 को मध्यप्रदेश के टिकम गड के ज़िले डूँड़ा गाव मैं हुआ, उमा के पिता का नाम श्री गुलाब सिंह था ।

उमा का जीवन किस प्रकार का है ?

उमा भारती एक बहुत ही सरल मन की साध्वी है, जिनका ध्यान केवल और केवल भगवत पाठ मैं लगा रहता है, साथ ही उन्होने ने अपना पूरा जीवन पाठ पढ़ने मैं ही गुजारा है , तथा उमा ये सब अपनी मन की शांति तथा समाज के कल्याण के लिए करती है। उमा ने कम उम्र मैं ही भगवत का पाठ पड़ना शुरू कर दिया था , कृषन भजन मैं उमा की रुचि बहुत ही जादा है।

राजनीतिक जीवन उमा का ?

अपने पाठ पड़ने तथा उनके भजन मशहूर होने के कारण श्री विजय राजी सिंधिया की नजर उमा भारती पर पड़ी , साल था 1984 जब श्री सिंधिया ने उमा भारती को खजुराहो से टिकिट देकर चुनाव मैं उठने की सलाह दी तथा उमा का पूर्ण समर्थन किया , जिसके चलते उमा भारती भारतीय जनता पार्टी के जादा करीब आ गयी , जिसके चलते उमा भारती ने , खजुराहो से चुनाव लड़ने का फैसला किया लेकिन दुभाग्यपूर्ण उमा भारती कामयाब ना हो सकी लेकिन उमा के इरादे पूरे साफ़ हो चुके थे की , उन्हे अपना भविष्य किस प्रकार सफल बनाना है , राजनीति मैं। उमा भारती चुनाव मैं असफल होने के बाद साल 1989 मैं खजुराहो से लोकसभा सांसद भी बनी।

साल 6 दिसम्बर 1992 मैं बाबरी मस्जिद गिरने के बाद उमा भारती जादा प्रचलित हुई लेकिन बाबरी मस्जिद गिरने के बाद ही साथ मैं मध्य प्रदेश मैं भारतीय जनता पार्टी की पटवा सरकार भी गिर गयी, तथा उसके बाद काँग्रेस सरकार मैं दिग्विजय सरकार का स्वागत हुआ , 10 साल लगातार काँग्रेस की सरकार बन ने भाजपा सरकार ने उमा भारती को दिग्गी सरकार को हराने के लिए उमा भारती को ज़िम्मेदारी सौंप दी, उस समय उमा अटल सरकार मैं कैबिनेट मंत्री तथा भोपाल से संसाद थी।

उमा भारती ने दिग्गी सरकार को किस तरह घेरा?

लगातार तीसरी बार दिग्गी सरकार को बन ने से रोकने के लिए उमा ने हर तरह के प्रयास किए , लाल परेड मैदान मैं अटल विहारी बाजपई ने उमा भारती को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप मैं जनता के बीच उमा का नाम घोषित कर दिया, उमा ने दिग्गी सरकार को रोजगार से लेके , हिन्दुत्व के जेसे मुद्दे के साथ घेरा तथा पक्की नौकरी , और भी अनेक प्रकार के मुद्दे से उमा ने दिग्गी सरकार को घेरा। साथ ही उमा ने बिपासा जैसे मुद्दो को उठाकर दिग्गी सरकार को घेरा, जिस से दिग्गी सरकार की मुसीबते बढ़ती जा रही थी।

सत्ता परिवर्तन

साल 2003 मैं उमा भारती ने दिग्गी सरकार को बुरी तरह से पराजय करके मुख्यमंत्री का पद हासिल किया , साथ ही उमा ने 230 सीटो मैं से 173 सीट जीत कर विजय हासिल की और दिग्गी सरकार केवल 38 सीटो पर ही अपनी जगह बना पायी।

उमा के बदलाव सत्ता मैं आने के बाद

उमा ने मुख्यमंत्री बन के पश्चात लाल परेड मैदान मैं शपथ लेकर अपना काम करना शुरू कर दिया उमा ने दिग्गी सरकार के आला अफसरो पर नकेल कस कर अपना काम शुरू किया साथ ही, जनता दरबार का आरंभ किया , रोजगार को अहम मानते हुए काम किया देश के युवाओ का ध्यान रखते हुए, उमा ने 28000 दैनिक वेतन भोगियों को पक्का कर दिया जिस से कारण उमा लोगो के बीच प्रचलित होती चली गयी, उमा ने जनता दरबार का आरंभ तो किया लेकिन कुछ भीड़ भाड के चलते उमा को जनता दरबार बंद करना पड़ा। उमा नी आदिवासी समुदायो का ध्यान रखते हुई , उन्हे पूरा पका हुआ खाना देने के आदेश दिये, तथा आदिवासी योजना का आरंभ किया।