राकेश टिकैत की जीवनी, किसान आंदोलन , किसान एकता मोर्चा

राकेश टिकैत की जीवनी, किसान आंदोलन , किसान एकता मोर्चा

राकेश सिंह टिकैत कौन है ?

राकेश टिकैत एक किसान परिवार से आते है, राकेश टिकैत का जन्म 4 जून 1969 को एक किसान परिवार मैं हुआ, वह मुजफरनगर जिले के सिसोली गाँव से तालुक रखते है और पेदा तथा सारा जीवन वही खेती बाड़ी मैं बिता है। श्री महेंद्र सिंह टिकैत जो की राकेश के पिता थे , उनका पूरा जीवन खेती मैं ही बिता कुछ साल बाद श्री महेंद्र सिंह की कैंसर से देहांत हो गया , उसके बाद राकेश तथा उसके बड़े भाई नरेश ने सारा काम काज संभाला।

शिक्षा का सफर

श्री राकेश सिंह टिकैत ने अपने पिता के देहांत के पश्चात अपनी पढ़ाई पूरी की तथा अपने परिवार को भी संभाला , राकेश ने मेरठ विश्वविद्यला से अपनी एमए की तथा उसके बाद उन्होने अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी की वकालत की पढ़ाई के बाद राकेश साल 1992 मैं हैड कोन्सटेबल बने। लेकिन कुछ समय बाद उन्हे अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा कुछ राजनीतिक पार्टी के चलते ।

राजनीतिक जीवन

राकेश का राजनीतिक जीवन कुछ अच्छा नहीं रहा, उन्होने उत्तरप्रदेश मैं एक बार निर्दलिय पार्टी से चुनाव लड़ा लेकिन वह कामयाब ना बन सके , निर्दलिय पार्टी से उठने के कारण उन्हे पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं हो पाया , 2014 मैं टिकैत ने अमरोहा पार्टी से अपनी सदस्यता भरी और चुनाव मैं उठने का मूड बनाया लेकिन वह कामयाब ना हो सके साथ ही उन्हे दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा । राकेश ने हारने के बाद राजनीति से बाहर आ गए ।

राकेश टिकैत को किसान संगठनो का समर्थन क्यू है ?

राकेश के पिता श्री महेंद्र सिंह भारतीय किसान यूनियन के प्रधान थे, तथा वह किसानो के हक़ और आज़ादी के लिए हमेशा आगे रहा करते थे , यह सब बाते आज हमे राकेश के अंदर दिखाई देती है ।
अपने पिता की देहांत की बाद भारतीय किसान यूनियन का पद राकेश ने ही संभाला तथा किसानो की हक़ की लड़ाई तथा अनेक प्रकार की मांगे और शर्ते सरकार के आगे रखते आए , राकेश भारतीय किसान यूनियन के मुख्य प्रवक्ता है।

राकेश अपने पिता के देहांत के सदा किसानो के आंदोलन मैं शामिल होते आए है तथा एक मजबूत किसान नेता बनकर उभरे है, साल 1992-1994 के बीच जब किसानो ने अपनी मांगो को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ा तो , राकेश ने उसमे एक अहम भूमिका निभाई थी, आंदोलन के दौर मैं राकेश हैड कोन्सटेबल थे , जब जब किसान आंदोलन कर रहा था तो , सरकार को पता था की टिकैत के पिता ही किसान यूनियन के प्रवक्ता है , तो सरकार ने टिकैत के उपर दबाव बनाया के आप आंदोलन खत्म कराओ , लेकिन यह बात राकेश को हजम ना हुई और उन्होने अपने पद से इस्तीफा देकर किसानो के साथ आंदोलन मैं शामिल हो गए ।

किसान आंदोलन मैं राकेश टिकैत की क्या भूमिका है ?

तीन कृषि कानूनों का विरोध अनेक संगठन कर रहे है , उनमे से एक संगठन भारतीय किसान यूनियन के मुख्य प्रवक्ता श्री राकेश टिकैत जी है , बाकी सारे संगठन भी राकेश की बाते ही आगे रखते है और सभी किसानो की मीटिंग्स मैं राकेश टिकैत को ही कमान संभालने को दी जाती है ।

राकेश टिकैत की जीवनी, किसान आंदोलन , किसान एकता मोर्चा

राकेश टिकैत की कुछ अहम बाते जो आपको पता होनी चाइए ।

श्री राकेश टिकैत बहुत से किसान आंदोलन की अगुवाई करते आए है, और ही किसान के हक़ के लिए हमेशा वह आगे रहे है , तथा उनके भाई श्री नरेश भी उनका पूर्ण समर्थन देते हुए आए है हर एक आंदोलन मैं।

कहा जाता है की टिकैत अब तक 44 बार जेल जा चुके है केवल किसानो को उनके हक़ दिलाने के लिए ।

राजस्थान मैं जब किसानो ने आनज मूल्य को लेकर आनोलन छेड़ा तो राकेश टिकैत उस आंदोलन की आगुवाई कर रहे थे , तथा उसी राकेश को 39 दिन की जेल भी हुई थी , किसानो के आंदोलन को लेकर।

आनज मूल्य आंदोलन के बाद राकेश ने मध्य प्रदेश के किसानो के साथ भी गन्ने के मूल्य को लेकर वह के किसानो के साथ आंदोलन को एक विशाल रूप प्रदान किया सभी राज्य के किसान उनके समर्थन मैं आए , इसी दोरान उन्हे फिर से जेल मैं डाला गया सरकार द्वारा।

किसान एकता मोर्चा के प्रवक्ता तथा सभी किसानो का आंदोलन मैं साथ देने के लिए राकेश को अनेक बार जेल हुई।

निष्कर्ष

सिंघू बार्डर , गाजीपुर बार्डर , तथा अनेक प्रकार जहा जहा किसान आंदोलन पर बेटा है , उन सब मैं राकेश की एक भूमिका है, साथ ही अनेक संगठन भी टिकैत को ही समर्थन देते है और जब भी सरकार से वार्तालाप होती है तो राकेश को सबसे पहले रखा जाता है , इसका कारण यह है की राकेश को अनुभव है हर प्रकार का वह काफी लंबे समय से किसानो के हक़ के लिए लड़ते आ रहे है ।

सभी किसान संगठन को राकेश टिकैत नी ही दशा और दिशा दिखाई है , टिकैत का कहना है की जब तक तीनों काले कानून सरकार वापिस नहीं लेगी तब तक कोई किसान धरने पर से नहीं उठेगा , राकेश नी ही सभी संगठन को इस आंदोलन मैं ऊर्जा प्रदान की है , यही कारण है की , सभी संगठन को उनका पूर्ण समर्थन प्राप्त हो रहा है।