विनायक दामोदर सावरकर की विचारधारा और ब्रिटिश सरकार

विनायक दामोदर सावरकर की विचारधारा और  ब्रिटिश सरकार

विनायक दामोदर सावरकर की विचारधारा किस प्रकार की थी ?

विनायक दामोदर सावरकर का जन्म साल 1883 में हुआ था वह एक ऊंचे विचार वाले पक्के राष्ट्रवादी थे तथा क्रांतिकारी सेनानी थे जो कि अपने सहासिक राजनीतिक कार्यों से प्रकाश में आए थे।

सावरकर का जीवन अत्यधिक जेल में ही बीता उनके क्रांतिकारी होने के कारण अंग्रेज हमेशा उनसे अपना किनारा किया करते थे तथा मौका मिलते ही उनको जेल में डाल दिया करते थे उसके पीछे यह कारण था कि सावरकर भारत वासियों के लिए एक उम्मीद बनते जा रहे थे साथ ही वह क्रांतिकारी कार्यों में हमेशा अपना योगदान सबसे आगे रखा करते हैं उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ बहुत से आंदोलन किए तथा समय-समय पर ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध आवाज उठाई थी।

1906 से लेकर 1910 तक सावरकर को इंग्लैंड में शिक्षा प्राप्त करते समय ही क्रांतिकारी क्रियाकलापों को जारी रखा जिसके वजह से उन्हें 50 वर्षों के कारावास का दंड देकर अंडमान में एक जेल में बंद कर दिया गया जिसे सेल्यूलर जेल कहते हैं जहां से सावरकर 1937 में आजाद हुए हैं जिसके पश्चात उन्होंने डेमोक्रेटिक स्वराज पार्टी तथा बाद में हिंदू महासभा की सदस्यता ग्रहण की।

सावरकर का राजनीतिक दर्शन।

सावरकर का राजनीतिक दर्शन भारत के राष्ट्रीय स्वरूप पर ही केंद्रित माना जाता था उनका यह प्रबल तर्क था कि अधिक संख्या हिंदुओं द्वारा अनुशासित धार्मिक व्यवस्था के रूप में हिंदुत्व की व्याख्या के विपरीत यह हिंदुत्व अथवा जनमानस और चेतना में व्याप्त हिंदुत्व ही है।

भारत की राष्ट्रीयता के केंद्र में स्थित है इसी प्रकार की अवधारणा में हिंदुत्व के अंतर्गत इस देश के अनेक स्थानीय धर्म और भौगोलिक रूप से निकट देशों के जन समुदाय भी आते हैं , क्योंकि वह सभी हिंदू धर्म से ही निकले हैं अनेक रंग तो और कला हिंदू धर्म जीवंत है और विकास कर रहे हैं तथा हिंदू संस्कृति के परिवेश में अपना अस्तित्व सजा हुए हैं हिंदुओं के लिए धर्म की पहचान इतनी पूर्णता के साथ देश से जुड़ी है कि यह देश उनके लिए ना केवल पित्र भूमि ही है बल्कि पुण्यभूमि भी है।

सावरकर और राष्ट्रवाद

विनायक दामोदर सावरकर के अनुसार उनका मत था कि हिंदुस्तान में जन्मे तथा पले हर एक इंसान को चाहे वह किसी भी धर्म जाति से ताल्लुक रखता हो उसे अपने देश के हित में कार्य करने चाहिए तथा एक सच्चा राष्ट्रवादी बनना चाहिए ।

सावरकर के मत के अनुसार उनका मानना था कि सभी धर्म जिसमें हिंदू मुस्लिम सिख इसाई जैन पारसी जो भी हिंदुस्तान में रहते हैं उन्हें हिंदुत्व को ही बढ़ावा देना चाहिए जिससे विश्व भर में हमारे देश का नाम रोशन हो सके सावरकर के अनुसार केवल हिंदुत्व की विचारधारा ही हिंदुस्तान को आगे बढ़ा सकती थी।

सावरकर के अनुसार देश के अल्पसंख्यकों को हिंदुत्व के विकास को बढ़ावा देने के लिए बहु संख्यक हिंदुओं से सहयोग करना चाहिए तथा खुद को राष्ट्रीय के सामाजिक आर्थिक तथा राजनीतिक जीवन में काम लाना चाहिए।

आजादी की पहली पुकार को उजागर करने वाला व्यक्ति सावरकर।

सावरकर ने अपने जन्म के कुछ समय बाद से ही ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन करने शुरू कर दिए थे जिसके कारण ब्रिटिश सरकार सावरकर को हमेशा से ही जेल में बंद रखना चाहती थी तथा सावरकर के ऊपर अनेक प्रकार के झूठे इल्जाम लगाकर उस पर मुकदमा चलाया करती थी।

ब्रिटिश सरकार हमेशा ही सावरकर को लगभग लगभग जेल में ही रखा करती थी, उनके क्रांतिकारी आंदोलनों के कारण तथा जेल में उन पर अनेक अनेक प्रकार के अत्याचार किए जाते थे तथा उन्हें दंडित भी किया जाता था ।

विनायक दामोदर सावरकर ही पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1857 की क्रांति को भारत वासियों को एक सच्चाई से सामना करवाया था कि आजादी की पहली आवाज 1857 में ही उठा दी गई थी यह बात केवल सावरकर और कुछ ही लोगों को पता था जो कि क्रांतिकारी आंदोलन करके हमेशा ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध ही रहा करते थे ब्रिटिश सरकार ने इस बात को गंभीरता से लेते हुए सावरकर तथा उसके समर्थक जो उनका आंदोलन में साथ दिया करते थे। 

ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें सेल्यूलर जेल में ही डाल दिया गया साल 1907 में सावरकर ने सेल्यूलर जेल जाते वक्त भागने की कोशिश की वह पानी के जहाज से कूद गए तथा तहरते हुए वह एक अलग जगह पर पहुंच गए लेकिन वह कामयाब ना हो पाए ब्रिटिश सरकार ने कुछ घंटों बाद ही उन्हें फिर से पकड़ लिया और सेल्यूलर जेल में ले जाकर बंद कर दिया गया।

ब्रिटिश सरकार को केवल एक ही डर सावरकर की ओर से सताता था कि अगर इसको हमने खुला रखा तो यह भारतवासियों के दिल में आजादी की भावना पैदा कर देगा जिससे हम हमारा शासन का अंत जल्दी ही हो जाएगा लेकिन लोगों ने सावरकर पर भरोसा ना करते हुए उनका साथ ना दिया बहुत ही कम लोग उनके समर्थन में आया करते थे।

सावरकर का जीवन सेल्यूलर जेल मे

विनायक दामोदर सावरकर का जीवन सेल्यूलर जेल में बहुत ही मुश्किल था उन पर अनेक अनेक प्रकार के अत्याचार किए गए ब्रिटिश सरकार ने अपने अधिकारियों से कहकर सावरकर के ऊपर एक से एक बढ़कर अत्याचार करवाएं जिससे सावरकर का जीवन अस्त-व्यस्त पूरा हो चुका था।

सावरकर अब अपने जीवन में थोड़ी आजादी चाहते थे क्योंकि उनका जीवन सदा ही जेल में बीता था सावरकर हिम्मत हार चुके थे क्योंकि लोगों ने उनका साथ देना बंद कर दिया था, ब्रिटिश सरकार उन पर झूठे मुकदमे चलाकर लोगों के बीच अफवाह फैलाया करती थी कि सावरकर ने आंतकवादी संगठन का समर्थन किया है तथा वहां हिंदुस्तान को बर्बाद करना चाहता है जिसके कारण लोगों ने अफवाहों में आकर सावरकर का साथ देना बंद कर दिया था।

ब्रिटिश सरकार द्वारा की गई धार्मिक राजनीति

जब सावरकर सेल्यूलर जेल में अपना जीवन बहुत ही कठिन परिश्रम करके व्यतीत कर रहे थे तब ब्रिटिश सरकार ने एक नीति बनाई जिसके द्वारा सावरकर की हत्या निश्चित थी ब्रिटिश सरकार ने एक जेलर को सावरकर के लिए नियुक्त किया जो कि एक मुस्लिम समुदाय से था।

ब्रिटिश सरकार ने उस मुस्लिम जेलर को झूठी बातों मे बहला-फुसलाकर सावरकर के खिलाफ साज़िश रची ब्रिटिश सरकार ने जेलर से कहा कि सावरकर मुस्लिम समुदाय का खात्मा चाहता है तथा उसका कहना है कि हिंदुस्तान में केवल हिंदुत्व विचारधारा वाले लोग ही राज करेंगे।

व जेलर ब्रिटिश सरकार के अधिकारियों की बातों में आ गया तथा सावरकर पर जुल्म करने शुरू कर दिए जिससे सावरकर का जीवन बहुत ही मुश्किल घड़ी में आ गया था लेकिन सावरकर ने इतने कष्ट सहने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी वह तब भी ब्रिटिश सरकार के खिलाफ ही रहा लेकिन एक बात सावरकर के जहन में बैठ गई थी ,मुस्लिम समुदाय के लोग सावरकर का हमेशा बुरा चाहते हैं । ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाई गई साजिश एकदम कामयाब रही सावरकर के दिल में मुस्लिम समुदाय के लिए घृणा हो गई तथा सावरकर ने मन बनाया कि अब वह केवल हिंदुत्व की विचारधारा पर ही चलेगा।

असहयोग आंदोलन और सावरकर

साल 1920 का वक्त था जब गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को एकदम चरम पर था, अंग्रेजी सरकार के खिलाफ जो की रोलेट एक्ट के विरोध में आंदोलन किया जा रहा था ब्रिटिश सरकार बहुत ही घबरा गई अंग्रेजी सरकार ने सावरकर को लेकर एक साजिश रची , क्योंकि सावरकर अब मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हो चुके थे जेल के अंदर अत्याचार सहने के बाद सरकार।

ब्रिटिश सरकार ने सावरकर को रिहा कर दिया 1920 में जब वह बाहर आए तो सावरकर ने एक नारा दिया एक देश,  एक भेष,  एक विचारधारा केवल हिंदुत्व, जिससे मुस्लिम समुदाय के लोग भड़क उठे और आंदोलन में हिंसा फैल गई जिसके कारण आंदोलन ज्यादा ना चल सका अंग्रेज़ो द्वारा रची गई साजिश एकदम कामयाब रही।

साल 1925 में सावरकर की मुलाकात वल्लभभाई हेडगेवार से हुई जो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्माता थे सावरकर ने उनके साथ मिलकर हिंदुत्व विचारधारा का प्रचलन किया और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हो गए सावरकर के अनुसार अब केवल हिंदुत्व ही देश में रहना चाहिए सावरकर का कहना था कि हिंदुस्तान में केवल हिंदू धर्म के लोग ही रहेंगे क्योंकि सावरकर जेल में अंग्रेजी साजिश का शिकार हो चुके थे इसलिए सावरकर के मन में केवल अब हिंदुत्व के लोग ही मान्यता रखते थे।