भूपेश बघेल की जीवनी

भूपेश बघेल की जीवनी

भूपेश बघेल की जीवनी

भूपेश बघेल का जीवन काफी ही साधारण परिवार साल 23 अगस्त 1961 को मध्यप्रदेश के दुर्ग मैं हुआ , जो की अब छत्तीसगढ़ के नाम से जाना जाता है। भूपेश बघेल के पिता श्री नंदू लाल बघेल एक किसान थे तथा उनकी माता जी श्रीमति विदेशवरी बघेल एक ग्रहणी थी जो अपने घर को एक सही रूप से चलाती थी । भूपेश बघेल एक ओबीसी जाती के नागरिक है जो की छत्तीसगढ़ मैं बहुत ही आम बात है। भूपेश बघेल की पत्नी क्या नाम श्रीमति मुक्तेश्वरी बघेल है , जिनका औदा भूपेश बघेल के जीवन मैं अहम है।

राजनीतिक सफर

भूपेश बघेल ने जब अपना राजनीतिक सफर शुरू किया तब वह केवल 25 साल के थे तथा साल 1986 जिस वक़्त श्रीमति इन्दिरा गांधी जा चुकी थी तथा राजीव गांधी का दौर था भारत देश मैं, भूपेश बघेल ने काँग्रेस सरकार का हाथ थामा साथ ही अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए खूब अनेक अनेक प्रकार के प्रयतन करते रहे जिस से उनका औदा पार्टी तथा संगठन के बीच एक अच्छे वातावरण मैं बना रहे।

भूपेश बघेल के राजनीतिक गुरु श्री चंदूलाल चंद्राकार की भूपेश बघेल के जीवन मैं बहुत ही अहम भूमिका थी तथा वह चंदूलाल चंद्राकार को ही अपना गुरु माना करते थे , उनके उनका कहना मान ना तथा उनके बताए हुए मार्ग पर चलना भूपेश बघेल को अच्छा लगता था तथा सुकून मिलता था , चंदुलाल , भूपेश बघेल को राजनीति मैं रहने का अनुभव देते थे तथा उन्हे एक अच्छी राजनीति किस प्रकार की जाती है वह उन्हे अवगत कराते थे ।

श्री चंदुलाल चंद्राकार भूपेश बघेल के गाँव से ही तालूक रखते थे तथा 4 मर्तबा उनके गाव से काँग्रेस की सरकार मैं सांसद रह चुके थे , चंदुलाल चंद्राकार के नजर हमेशा से भूपेश बघेल के उपर रहा करती थी ।

चंदुलाल चंद्राकार की भूपेश बघेल के जीवन मैं क्या भूमिका थी ?

श्री चंदुलाल चंद्राकार जो की काँग्रेस की सरकार के नेता थे , तथा भूपेश बघेल के काफी ही करीबी थी , चंदुलाल हमेशा भूपेश बघेल को सीख दिया करते थे तथा उन्हे अपनी जगह राजनीति मैं केसे बनानी है , एक सही रूप से उन्हे ये सब बाते बताया तथा समझाया करते थे ।

चंदुलाल चंद्राकार को शुरू के दिनो से ही भूपेश की मानसिकता तथा हुनर दिख गया था , 1986 मैं भूपेश बघेल एक बहुत ही कम आयु के युवा नेता उभर कर सामने आए , चंदुलाल जी ने भूपेश को अपने संग संग रखा तथा उन्हे एक अच्छी और सच्ची राजनीति केसे की जाती है उन्हे सिखायी , चंदुलाल चंद्राकार भूपेश को हमेशा कहा करते थे की , जनता के दुख को समझना चाहिए तथा उनके जीवन को हम केसे बेहतर बना सकते है , साथ ही उनका जीवन किन किन प्रयासो से एक अच्छा जीवन बन सकता है , भूपेश को चंदुलाल जी ये सब बाते समझाया करते थे ।

भूपेश बघेल को दिये हुए मूल मंत्र श्री चंदुलाल चंद्राकार के द्वारा

श्री चंदुलाल चंद्राकार ने पहला मूल मंत्र भूपेश को बताया की , कभी भी समाचार तथा मीडिया के जरिये अपनी राजनीति नहीं करनी चाइए, तथा अपने विपक्ष के उपर कभी झूटे और बेबुनियादी आरोप तथा कीचड़ नहीं उछालनी चाइए , किसी की भावना को ठेस नहीं करना चाइए अगर आप राजनीति मैं है ।

दूसरा मूल मंत्र चंदुलाल जी भूपेश को दिया जो की बहुत ही असरदार मूल मंत्र रहा भूपेश बघेल के जीवन मैं , चंदुलाल चंद्राकार जी ने भूपेश को मंत्र बताया की अगर आप राजनीति तथा सियासत मैं तो कभी भी सियासत को अपने पेट भराई का रास्ता नहीं बनाना चाइए साथ ही , तानाशाही नहीं चालानी चाइए तथा , अपना और अपने परिवार का पेट कभी भी राजनीति के धन से नहीं पालना चाइए , साथ ही अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए हमेशा अपना और कोई रोजगार करना चाइए , जनता के पेसो से अपना पेट नहीं चाइए ,

तीसरा और आखरी मूल मंत्र था श्री चंदुलाल चंद्राकार का भूपेश बघेल के लिए , के जिस पार्टी या संगठन के आप कार्यक्रता उस पार्टी और संगठन के अंदर कभी फूट नहीं डालनी चाइए तथा एक दूसरे के प्रति अच्छी सोच तथा एक इंसानियत की भावना रखनी चाइए , कभी भी पार्टी मैं बगावत को जगह ना दे ।


भूपेश बघेल ने काँग्रेस सरकार को किस प्रकार पुनर्निर्माण किया ?

साल 2013 जब भाजपा सरकार अपने चरण मैं थी तथा जीतने की कगार पर थी , उस वक़्त काँग्रेस सरकार मैं छत्तीसगढ़ के मैं कमान श्री अजित जोगी के हाथो मैं थी , लेकिन दरबा घाटी के हादसे के बाद पार्टी के सदस्यो के बीच अजित जोगी की भूमिका ना के बराबर ही रह गयी.

साल 2016 मैं अजित जोगी ने काँग्रेस सरकार की सदस्यता से अपना त्याग पत्र दे दिया साथ ही पार्टी छोड़ चले गए उसके बाद काँग्रेस सरकार ने भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ मैं कमान संभालने को कही , लेकिन 2014 मैं भाजपा सरकार पूर्ण बहुमत से छत्तीसगढ़ मैं प्रवेश कर गयी , तथा रमन सरकार का राज्य मैं बोल बाला होता रहा .


साल 2016 मैं भूपेश बघेल की अहम भूमिका

अजित जोगी के काँग्रेस सरकार मैं से जाने के बाद कमान संभाली श्री भूपेश बघेल ने तथा पार्टी को एक नया चेहरा दिया साथ ही छत्तीसगढ़ की जनता मैं अपनी सरकार के प्रति फिर से विश्वास तथा भावना कायम करने मैं कामयाब रहे , जनता का विश्वास तथा उम्मीद फिर से काँग्रेस सरकार की और होती दिखी जिसका केवल और केवल भूपेश बघेल का संघर्ष था , अजित जोगी के जाने के बाद काँग्रेस सरकार पूरी तरह बिखर चुकी थी तथा सदस्यो के बीच आपस मैं ताल मेल बहुत ही कम रह गया था ।

भूपेश बघेल ने कमान संभालने के बाद अपने संगठन और अपने सदस्यो के दिल मैं फिर एक नयी क्रान्ति उजागर की , जिसका असर जनता, अखबार , तथा मीडिया के भीतर दिखने लगा साथ ही जनता ने काँग्रेस सरकार के सदस्य श्री भूपेश बघेल को एक और मौका देने का फेसला किया ।

भूपेश बघेल ने रमन सरकार को किन मुद्दो से घेरा ?
  1. भूपेश बघेल ने धान की कीमतों पर विपक्ष को घेरा तथा मांग की के जो धान अभी नुयंतम समर्थन मूल्य पर सरकार केवल 10 प्रतिशत क्विंटल धान लेती है , सरकार उसे 15 प्रतिशत करे , भूपेश ने इस मुद्दे को लेकर आंदोलन छेड़ा साथ ही जनता की भी नजर भूपेश के उपर पड़ी । आंदोलन के चलते रमन सिंह सरकार को उनकी मांग माननी पड़ी ।
  2. दूसरा संघर्ष भूपेश बघेल ने आदिवासी पट्टो को लेकर किया , क्यूकी सरकार उन पट्टो को खत्म करने जा रही थी , काँग्रेस सदस्यो तथा भूपेश बघेल ने फिर से सरकार को घेरा तथा ये मुद्दा भी सुलझा दिया ।
  3. ग्राम सभा के बजट के मुद्दे को लेकर भी भूपेश बघेल ने सरकार को घेरा तथा ये मुद्दा भी सुलझा दिया साथ ही सफलता के कारण भूपेश बघेल सुर्ख़ियो मैं आते गए । साल 2018 मैं श्री भूपेश बघेल ने रमन सरकार को पीछे छोड़ 90 राज्य सभा सीटो मैं से 69 सीटो पर विजय पायी तथा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने ।